Friday, May 31, 2024

मैं बात करना चाहता हूँ

मैं बात करना चाहता हूँ

मैं उस व्यक्ति से बात करना चाहता हूँ
जो तुम्हारी खामोशी के पीछे छिपा है,
उन छायाओं में जहाँ फुसफुसाहटें रहती हैं,
और विचार अनकहे रह जाते हैं।

क्या कोई दिल है जो धीरे से धड़कता है,
शांत घूंघट के नीचे?
क्या कोई सपने हैं जो हल्के से नाचते हैं,
तुम्हारी शांति की शांति में?

मुझे उन गूँजों को प्रकट करो,
जो तुम्हारे मन में घूमती रहती हैं,
क्योंकि तुम्हारी खामोश गहराइयों में,
हजारों कहानियाँ बंधी हैं।

जीआर कवियूर
01 06 2024

Tuesday, May 28, 2024

कालि या गोरी हो तू

कालि या गोरी हो तू 

कहूं आज या कल कहूं 
तेरे बारे में सनम
कहने को कहता रहूं
कालि या गोरी हो तू

तेरी आँखों में जो डूब जाऊं
हर ग़म अपना भुलाऊं
तेरी मुस्कान का जादू
हर दिल को है छू जाता

तेरी बातें सुनूं जब मैं
मन मेरा बहक जाता
तू जो पास हो मेरे
जग सारा हसीं लगता

तेरे बिना अधूरी सी
हर ख्वाहिश हर अरमान
तू ही मेरा हमसफ़र
तू ही मेरा भगवान

रचना 
जी आर कवियूर
29 05 2024

Monday, May 27, 2024

तेरी राहों को सर्वत्र हूं

तेरी राहों को सर्वत्र हूं


तेरी राहों को सर्वत्र हूं,
तेरे ख्वाबों में अब बसर हूं।

तेरी यादों में बसा ये दिल,
तेरे बिना अब मैं अधूरा हूं।

तेरे लम्हों का मैं कारवां,
तेरे बिन मैं जैसे हवा हूं।

तेरी खुशबू से महकता जहां,
तेरे बिना सब कुछ बेजान हूं।

तेरे इश्क़ का मैं दीवाना,
तेरे बिना मैं वीराना हूं।

तेरी चाहत में खोया हुआ,
तेरे बिन मैं आवारा हूं।

रचना 
जी आर कवियूर
27 05 2024

Sunday, May 26, 2024

जब इश्क किसी से हो जाए

जब इश्क किसी से हो जाए

जब इश्क किसी से हो जाए,
हर बात में उसकी बात आए।

नींदों में भी वो ख्वाब बन जाए,
हर धड़कन में उसका नाम आए।

आँखों से आँसू भी मुस्कुराएं,
उसकी यादों में दिल खो जाए।

दूर हो वो फिर भी पास लगे,
हर पल उसका एहसास रहे।

इश्क की राहों में बहक जाएं,
उसकी चाहत में हम मिट जाएं।
रचना 
जी आर कवियूर
26  05 2024

Friday, May 24, 2024

अनमोल हिकायतें।

ज़िंदगी की राह में बेख़ुदियां,
हर कदम पर नई मुश्किलें।

राहें भी अनजानी सी लगें,
दिल में बसें कई सिलसिले।

कभी हंसी तो कभी आंसू,
हर पल के रंग निराले हैं।

इश्क़ में डूबीं कुछ ख्वाहिशें,
फिर भी अधूरी बातें हैं।

जुगनू जैसे ख्वाब चमकें,
अंधेरों में भी कुछ उजाले हैं।

राहों में मिले हैं कई साथी,
कुछ अपने कुछ पराये हैं।

इस सफर में सिखाई ज़िंदगी,
हमको कई अनमोल हिकायतें।

रचना 
जी आर कवियूर
25 05 2024

Tuesday, May 21, 2024

मोहब्बत के दीवाने सुनो (गजल)

मोहब्बत के दीवाने सुनो (गजल)


मोहब्बत के दीवाने सुनो, इक बात कहूँ सच्ची,
इंतजारों की घड़ियां, होती हैं कुछ कच्ची।

भेड़िया पारकर के आएगी नहीं, वो राह कठिन होती है,
दिल की बातें समझना, ये मोहब्बत की कला होती है।

कोष दूर तक चलने की आदत, सबको कहां होती है,
मंजिलें पाना आसान नहीं, राहें बड़ी कठिन होती हैं।

चाँद तारों से सजाकर, ख़्वाबों की चादर बुन लो,
सपनों की ये महफ़िल, दिल से दिल की बातें सुन लो।

इंतजारों का ये सफर, दिल को थोड़ा आजमाएगा,
लेकिन जो सच्चा हो, वही आखिर में मुस्कराएगा।

रचना 
जी आर कवियूर
22 05 2024



Tuesday, May 14, 2024

आज भी याद करता हूं (गजल)

आज भी याद करता हूं (गजल)


आपके अरमानों को
आज भी याद करता हूं
मगर सहलाने की ताकत
उन दिनों में हमें नहीं थी

बीते वक्त की यादों में
खोया हूं अक्सर मैं
दिल के कई राज़ छुपे हैं
जिन्हें अब भी न खोलूं मैं

धुंधला सा रहता है ख्वाबों में
तेरा चेहरा बसा है
आँखों में छुपी बेखुदी
अब तक जीने ना पाया है

क्या कहूं किसे ये दर्द
जो छू लेता है हर पल
तेरी यादों का करवा सच
अब तक निभाया है

आज भी तेरी तलाश में
गुम हूं अपनी ही राहों में
तेरे अरमानों को साथ ले कर
बस चल रहा हूं अब तक मैं।

रचना 
जी आर कवियूर
15 05 2024



Saturday, May 11, 2024

ख्वाबों को सजाता हूं। (गजल)

ख्वाबों को सजाता हूं। (गजल)

यह किस्मत कितनी अजीब है
फासले कितने भी हो  मगर
तेरे साथ में  जीने की तमन्ना है
मगर यादों  की भीड़ में खोया हूं

सपनों की दुनिया में खोया हूं
तेरे बिना अधूरा सा लगता हूं
कितनी बारिशों में भिगोया हूं
तेरी यादों के साथ रोया हूं

बीते पलों को फिर से जीने की आस है
तेरी मोहब्बत में डूबे हुए ये रातें
दिल की धड़कनों में बसी तेरी बातें
अब तक न जाने क्यों तेरी यादों में ही रहता हूं

ख्वाबों की दुनिया में खोया हूं
तेरे बिना अधूरा सा लगता हूं
साथ तेरे चलने की चाहत में
अपने ख्वाबों को सजाता हूं।

रचना 
जी आर कवियूर
12 05 2024

Sunday, May 5, 2024

तेरी यादों से भरी हुई

तेरी यादों से भरी हुई

तनहाई ने मेरे तमन्नाओं को
खालिस कर दिया
फिर भी ख्वाब रह गया
तेरे लिए तलाश इन वादीयो में

रात के साये में खोई बातें तेरी  
दिल के कोने में बसी यादें तेरी  
चाँदनी की किरनों में छुपी रातें  
तेरी धड़कनों की गहराई में बातें  

तेरी खुशबू में मिली खुशियाँ तो  
ज़िन्दगी ने मिटा दी गमों की बातें  
ख्वाबों के रास्तों में बिखरी बारिशें  
तेरी यादों की मिट्टी से बनी चादर  

आँखों में बसी हुई तेरी मुस्कान  
सपनों के गहराई में छुपी खोज  
तेरी चाहत के रास्ते पे खोया  
तेरी यादों से भरी हुई ये कविता

रचना 
जी आर कवियूर
05 05 2024

Saturday, May 4, 2024

तू नज़रों में है

तू नज़रों में है


नजर नजरों से मिली
बात बाकी रह गई
अधूरा सा दिल में
छू गई तनहाई में  मन 

दर्द का गीत गाता हूँ
सितारों से बस बातें करता हूँ
रातें गुजर जाती हैं
ख्वाबों में तेरी बातें लिखता हूँ

दिल की धड़कनों में
तेरा ही नाम लिखता हूँ
जिंदगी की कश्ती में
तू ही सहारा चाहता हूँ

हर ख्वाब तेरा
हर ख्वाहिश तेरी मनचाही है
तू नज़रों में है
तेरी ही तलाश में बेरहमी से बहता हूँ

रचना 
जी आर कवियूर
04 05 2024

Friday, May 3, 2024

पाया सा रहा। (गजल)

पाया सा रहा। (गजल)


तेरे करीब आकर
दिल में इतना सुकून पाया
तन्हाई से बच निकला
तमन्ना की राह में
न जाने किधर खो गया

ख्वाबों की दुनिया में
हर ख्वाब सच लगने लगा
ज़िंदगी के सफ़र में
तेरे साथ साथ चलने लगा

दिल की हर धड़कन में
तेरा ही नाम बसने लगा
चाहत की राहों में
तेरी यादों का मेहल बसने लगा

खुशियों की बहारों में
तेरा चेहरा मुस्काने लगा
दर्द की रातों में
तेरी बातों की कहानी गुनगुनाने लगा

हर पल तेरी यादों में
खोया सा रहा, भूला सा रहा
तेरी चाहत में, मोहब्बत में
अपना सब कुछ खोया, पाया सा रहा।

रचना 
जी आर कवियूर
03 05 2024