तेरी अखियां
तेरी पहचान तो
तेरी अखियां ही है
दो चार से मिले तो
दिल की धड़कन बड़ी
क्या कहूं किस्सा
किसको बताऊं मैं
हैरान हूं
दूर तू रहे तो भी
पास रहने का एहसास है
बरसों से तेरी याद को
सीने पर लिए घूमता हूं सनम
बेकरारी से तड़पता गया
तनहाई मुझे खाती रही
तेरे पहचान तो
तेरी आंख्या ही है
रचनाकार
जीआर कवियूर
01 04 2023
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