Sunday, March 3, 2024

और कितना गम छुपाऊं

और कितना गम छुपाऊं 


दिल के अफ़साने को कैसे समझाऊं
रूह का क़ैल ग़म कैसे सुनाऊं
दिल की बातें बयाँ करूं कैसे
इस ख़ामोशी को कैसे बयाँ करूं

ख्वाबों की दुनिया में खो जाऊं
यादों की ज़मीन पे खुद को पाऊं
अपने दिल की धड़कनें सुनाऊं
तन्हाई की आँधी में खुद को ढालूं

ज़िन्दगी के राज़ कैसे समझाऊं
दर्द की कहानी कैसे सुनाऊं
अपनी हसरतों को कैसे पूरा करूं
खुदा से दुआ में मुझे माँगूं

रचना 
जी आर कवियूर
 04 03 2024

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