Sunday, March 24, 2024

अंधेरी राह भी

अंधेरी राह भी  

यह इश्क तुझे 
भुला ना पाया मैं
तेरी याद के रोशनी से
अंधेरी राह भी  आसान सा
 हो जाता है सनम

तेरी बातों की गहराई में
खो जाता हूँ मैं हर दम
दिल की धड़कनों में बसता
तेरा ख्वाब सा गुलिस्तान

मुझमें तेरी खुशबू बिखरी
हर पल, हर इक ख्वाब में
तेरी यादों का जादू सा
मेरे दिल में बसा रहा

इस इश्क के सिलसिले में
तेरी यादों की गहराई में
मैं हूँ अब तक उलझा हुआ
इस अल्फ़ाज़ के गुंजा सा।

रचना
जी आर कवियूर
25 03 2024

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