अंधेरी राह भी
यह इश्क तुझे
भुला ना पाया मैं
तेरी याद के रोशनी से
अंधेरी राह भी आसान सा
हो जाता है सनम
तेरी बातों की गहराई में
खो जाता हूँ मैं हर दम
दिल की धड़कनों में बसता
तेरा ख्वाब सा गुलिस्तान
मुझमें तेरी खुशबू बिखरी
हर पल, हर इक ख्वाब में
तेरी यादों का जादू सा
मेरे दिल में बसा रहा
इस इश्क के सिलसिले में
तेरी यादों की गहराई में
मैं हूँ अब तक उलझा हुआ
इस अल्फ़ाज़ के गुंजा सा।
रचना
जी आर कवियूर
25 03 2024
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