मेरे आँसू हैं।
सुखी हूँ मैं, अपनी आँसूओं के साथ,
वे मेरे दर्द को समझते हैं, ज्यादा तुमसे।
तुम्हें समझाने की चेष्टा की मैंने,
पर वे चुप रहे, मेरे आँसू ही मेरे साथ।
मेरी खुशियों की कहानी तो तुम न समझ पाए,
वे खुशी के साथ ही रोए, मेरे साथ ही मुस्काए।
आज भी मैं खोया हूँ, अपने आँसूओं में,
वे मेरी मंज़िल हैं, मेरी सहेली, मेरे साथ।
उन आँसूओं के साथ ही मैं जीता हूँ,
वे मेरे साथ ही हैं, मेरे रिश्तों की बुनियाद, मेरे संग।
क्योंकि वो मेरी भाषा हैं, मेरी अद्भुत कविता,
जो तुम न समझ पाए, जो तुमसे कह न सका, मेरे आँसू हैं।
रचना
जी आर कवियूर
19 03 2024
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