Saturday, November 4, 2023

खामोशी

खामोशी

तेरे जवाब खामोशी थी
मन नहीं माना बेचैनी थी
तेरे जवाब खामोशी थी
हर बात पर दिल तड़पते थे
आंखें तरसे तेरे एक झलक पाने के लिए

दिल की गहराईयों से सवाल करती थी
तेरी ख्वाहिशों को समझाने की ख्वाहिश थी
पर तेरे जवाब में वो सुखमयी सन्नाटा था
जो हमेशा साथ चलने की बेशुमार आशिकी में छुपा था।

रातें बीतीं सितारों के संग संग
मगर तेरे ख्वाबों में भी वो बात नहीं थी
क्योंकि तेरे जवाब में छुपी थी वह सारी खुशबू
जो अब भी मेरी ख्वाहिशों में बिखरी हुई थी।

रचना 
 जी आर कवियूर
 05 11  2023

No comments:

Post a Comment